Garib Ki Kahaani | Shayari | Paisa Kahan Se Aaye | पैसा कहाँ से आये
कोई मुझे बताये..
पैसा कहाँ से आये
गरीब की आँखों में आंसू क्यों..
क्यों वो नीर बहाये
पैसा कहाँ से आये
पैसा कहाँ से आये
सुबह से शाम हो जाती..
वक्त नहीं है बीते
गरीबी और गरीब की परिभाषा इतनी सरल नहीं है कि उसकी एक पंक्ति में व्याख्या हो जाये । गरीबी चाहे किसी भी रूप में हो, हमेशा दर्द ही देती है और लाखों लोग उस दर्द को सहते हुए ज़िन्दगी बिताते हैं ।
प्रस्तुत है गरीबी और उसके दर्द की व्याख्या करती हुई शायरी जिसमें आपको “बेवस ज़िन्दगी शायरी”, “रोटी पर शायरी”, “गरीबी के दर्द पर शायरी”, “किसान पर शायरी”, “मजदूर पर शायरी”, “बेरोज़गार पर शायरी”, “मदद पर शायरी”, “दर्द-ऐ-ज़िन्दगी शायरी” मिलेगी. ।
आशा करता हूँ कि आप सभी को शायरी पसंद आएगी ।
कोई मुझे बताये..
पैसा कहाँ से आये
गरीब की आँखों में आंसू क्यों..
क्यों वो नीर बहाये
पैसा कहाँ से आये
पैसा कहाँ से आये
सुबह से शाम हो जाती..
वक्त नहीं है बीते
निहारता रहा मैं उसे..
जब मैंने उस बदनसीब को देखा
मिट्टी की दीवार और बारिश की बौछार..
ये सोचा मैंने जब उस गरीब को देखा
घर में छप्पर और साथ में..
पानी के गलियारे होंगे
हमसे ना पूछो क्यों..
क्यों इतने मजबूर हैं
ये लेबर चौक है..
और हम मजदूर हैं
ज़िंदगी भारी लगती है..
चाहे मौसम हो सुहाना
दो वक्त रोटी गुज़ारिश अपनी..
नहीं तो पानी पीकर सो जाना
कोई गुजरता पास से अगर..
भीड़ इकट्ठी होती
जो मिलते ऊँची दुकानों पर महंगे.. पटरी के किनारे अक्सर खिलौने सस्ते होते सिर्फ यही अंतर अगर मिट गया होता.. आँखों में ख़ुशी और चेहरे… Read More »जो मिलते ऊँची दुकानों पर महंगे | गोल्डन शायरी