बेवफा जिस राह पर तेरे कदम होंगे..
कदम न रखूंगी कभी उस गली
मचलती थी तेरे पास आने को..
आज तेरे नाम से भी नफ़रत हो चली
Bewafa Jis Raah Par Tere Kadam Honge..
Kadam Na Rakhungi Kabhi Us Gali
Machalti Thi Tere Paas Aane Ko..
Aaj Tere Naam Se Bhi Nafrat Ho Chali
ज़िंदगी के सागर में अनेक रंग..
कभी जहाज़ तो कभी नाव होती
वही लिखता हूँ जो पसंद सभी की..
कभी धूप तो कभी छाँव होती