मेरे हुनर ने कल मुझसे कहा..
क्यों छिपाते हो तुम दिल की बात
वक़्त पर हमको ही दिखा दिया होता..
तो शायद बुलंदी मिल जाती आज
Mere Hunar Ne Kal Mujhse kaha..
Kyon Chhipaate Ho Tum Dil Ki Baat
Weqt Par Hamko Hi Dikha Diya Hota..
To Shayad Bulandi Mil Jaati Aaj
ज़िंदगी के सागर में अनेक रंग..
कभी जहाज़ तो कभी नाव होती
वही लिखता हूँ जो पसंद सभी की..
कभी धूप तो कभी छाँव होती